हज़रत रामदत्त जी साकार सूफी वेद जैसे रहे हैं। जो सूफीयत का ज्ञान करा दे
वह सूफीवेद। जो सूफी फकीरी का बोध करा दे वह सूफी वेद। जो सूफी
साधना की बुलंदी तक पहुंचा दे वह सूफी वेद।। रामदत्त जी ऐसे ही थे।
उनमें सूफीयत साकार थी। उनमें गुरु भक्ति, प्रेम और सेवा भाव लबालब भरा
हुआ था – जैसे एक ही बदली में पूरा सावन रिमझिम करता रहे। हमने
इसीलिए उन्हें सूफी वेद जैसा फकीर कहा है।