रूहानी पुरुष

काॅलेज की पढाई के वक्त पढा था कि संत महात्मा व फकीर कैसे होते हैं। पढ लिख कर प्रोफेसर हो गया। तब इनके बारे में पढाने लगा। फिर हजरत हर प्रसाद मिश्रा उवैसी के सम्पर्क में आया। साक्षात देखा कि सूफी फकीर ऐसे होते हैं। दिखने में मेरे आपके जैसे होते हैं। खाते पीते हैं। सोते जागते हैं। नहाते धोते हैं। सारी क्रियाएं मनुष्य की तरह करते हैं। लेकिन यारी खुदा से करते हैं। बात उस परम की सुनते हैं। उसी की याद में रहते हैं। उसी की बात कहते हैं। खुदा उसके मुंह से बोलता है। परम ज्योति उस की आंखों से छलकती है। उसके पास बैठो तो दिल में सुकून भर जाता है। यह सब मैंने अनुभव किया है। मेरे पीर में रूहानियत को कौंधते हुए देखा है। उसकी आंख में सत्य। उसकी बात में तथ्य। मुस्कान में अर्थ। वचन में आशीर्वाद। कथन में आश्वासन। पास बैठने के लिए कह दिया तो समझो काम हो गया। नजर से देख लिया तो निहाल कर दिया। ऐसा अपने आप होते हुए मैंने खुद देखा है।

1 thought on “रूहानी पुरुष”

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *