यह किताब गीता के दसवें अध्याय के 33 वें श्लोक के आधार पर लिखी गई है। उकत श्लोक में कृष्ण कहते हैं कि स्त्री में उनकी सात विभूतियां हैं – कीर्ति, श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा। इन सातों की सोदाहरण व्याख्या इस पुस्तक की विशेषता है। इस में अदिति, अरुंधति, शची, अनसूइया, सूर्या सावित्री, सती मदालसा, ऋषिका वाचक्नवी गार्गी , कालीदास की पत्नी विद्योत्तमा, रत्नावली आदि प्रसिद्ध महिलाओं की कीर्ति का वर्णन है। इस में स्त्री की आंतरिक मुक्ति का पथ प्रशस्त किया गया है।