इस किताब में निष्काम कर्म, ज्ञान, भक्ति, परमात्मा, आत्मा, प्रकृति आदि से संबंधित वे सारी बातें समझाई गई हैं जो गीतोपदेश में हैं। ऐसे ही जीवात्मा, मोक्ष, बंधन, पुनर्जन्म, वेकुण्ठ, ब्रह्म, पर ब्रह्म आदि विषयक सत्य को बोध गम्य ढंग से स्पष्ट किया गया है। इसका भी खुलासा किया है कि कृष्ण ने गीतोपदेश कवल अर्जुन को ही क्यों दिया ? त्रिगुणात्मक प्रकृति से परे निकल जाने का क्या अर्थ है, इसका भी प्रतिपादन किया गया है।