18 वें अध्याय के 65 वें श्लोक की व्याख्या। ईश्वर बाहर कहीं नहीं मिलेगा। वह मनुष्य के अंदर ही है। कृष्ण ने गीता में वाँच बार कहा है कि मै प्रत्येक प्राणी के हृदय में आत्मा के रूप में निवास करता हूं। ईश्वर यानी परम चेतना की अनुभूति के तीन उपाय हैं – भक्ति, ज्ञान एवं कर्म। किंतु तीनों में कर्तव्य भाव से कर्म करते रहना अनिवार्य है। कर्म की यह विधि इस श्लोक में समझाई गई है।