गीता में चौथे अध्याय के 7-8 वे श्लोक की व्याख्या। अवतार जन्म नहीं लेता, उसका सृजन होता है। कृष्ण कहते हैं कि तदात्मानां सृज्यामम्यहम्। देवकी नंदन से योगेश्वर श्रीकृष्ण तक उनके व्यक्तित्व का उत्थान हुआ था। यही मानव जीवन की पूर्णता है। वूर्णता ही परम है, ईश्वर है। यह मनुष्य की आत्मिक शक्तियों की अभिव्यक्ति है। कृष्ण कहते हैं कि तुम जो हो सकते , वह मै हो गया हूं।