हज़रत रामदत्त जी साकार सूफी वेद जैसे रहे हैं। जो सूफीयत का ज्ञान करा देवह सूफीवेद। जो सूफी फकीरी का बोध करा दे वह सूफी वेद। जो सूफीसाधना की बुलंदी तक पहुंचा दे वह सूफी वेद।। रामदत्त जी ऐसे ही थे।उनमें सूफीयत साकार थी। उनमें गुरु भक्ति, प्रेम और सेवा भाव लबालब भराहुआ था – […]
श्री हनुमान चालीसा (विस्तृत व्याख्या)
सार की बात – भक्ति सर्वकालिक एवं सार्वजनिक चेतना है। धर्म, जाति,पंथ, संप्रदाय, देश प्रांत आदि में बंटे हुए मनुष्य ने इसके भी विभाजक नाम रख दिए हैं- कृष्ण भक्त, राम भक्त, शिव भक्त, गुरु भक्त आदि। किंतु भक्ति वाली चेतना से अनुप्राणित हुए बिना कोई भी मनुष्य भक्त नहीं होता। सारे भक्तों में यह […]
रूहानी पुरुष
काॅलेज की पढाई के वक्त पढा था कि संत महात्मा व फकीर कैसे होते हैं। पढ लिख कर प्रोफेसर हो गया। तब इनके बारे में पढाने लगा। फिर हजरत हर प्रसाद मिश्रा उवैसी के सम्पर्क में आया। साक्षात देखा कि सूफी फकीर ऐसे होते हैं। दिखने में मेरे आपके जैसे होते हैं। खाते पीते हैं। […]
एक श्लोक की गीता
ग्यारहवें अध्याय के 55 वें श्लोक की व्याख्या। अर्जुन को कृष्ण ने अपना विश्व रूप एवं चतुर्भुज रूप दिखा दिया। तब वह बोला कि मै अब स्थिर हो गया हूं। तब कृष्ण ने उसे कहा कि जो मनुष्य कर्तापन के अभिमान व भोक्ता भाव की आसक्ति से मुक्त रह कर केवल मेरे निमित्त कर्म करता […]
अवतार का सत्य
गीता में चौथे अध्याय के 7-8 वे श्लोक की व्याख्या। अवतार जन्म नहीं लेता, उसका सृजन होता है। कृष्ण कहते हैं कि तदात्मानां सृज्यामम्यहम्। देवकी नंदन से योगेश्वर श्रीकृष्ण तक उनके व्यक्तित्व का उत्थान हुआ था। यही मानव जीवन की पूर्णता है। वूर्णता ही परम है, ईश्वर है। यह मनुष्य की आत्मिक शक्तियों की अभिव्यक्ति […]
कृष्ण से मुलाकात
18 वें अध्याय के 65 वें श्लोक की व्याख्या। ईश्वर बाहर कहीं नहीं मिलेगा। वह मनुष्य के अंदर ही है। कृष्ण ने गीता में वाँच बार कहा है कि मै प्रत्येक प्राणी के हृदय में आत्मा के रूप में निवास करता हूं। ईश्वर यानी परम चेतना की अनुभूति के तीन उपाय हैं – भक्ति, ज्ञान […]
गीता १५० प्रश्नोत्तर
इस किताब में निष्काम कर्म, ज्ञान, भक्ति, परमात्मा, आत्मा, प्रकृति आदि से संबंधित वे सारी बातें समझाई गई हैं जो गीतोपदेश में हैं। ऐसे ही जीवात्मा, मोक्ष, बंधन, पुनर्जन्म, वेकुण्ठ, ब्रह्म, पर ब्रह्म आदि विषयक सत्य को बोध गम्य ढंग से स्पष्ट किया गया है। इसका भी खुलासा किया है कि कृष्ण ने गीतोपदेश कवल […]
गीता पाप मोचनी
अठारहवें अध्याय के 66 वें श्लोक की व्याख्या। साथ में सृष्टि के प्रथम वैष्णव मंत्र – गोविंदमादिपुरुषं तमहंभजामि- का आलोचन। गीता के उक्त श्लोक में कृष्ण डंके की चोट कहते हैं कि तुम मेरी शरण में आ जाओ ; मै तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूंगा। इस में समझाया गया है – पाप का […]
नारी मुक्ति
यह किताब गीता के दसवें अध्याय के 33 वें श्लोक के आधार पर लिखी गई है। उकत श्लोक में कृष्ण कहते हैं कि स्त्री में उनकी सात विभूतियां हैं – कीर्ति, श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा। इन सातों की सोदाहरण व्याख्या इस पुस्तक की विशेषता है। इस में अदिति, अरुंधति, शची, अनसूइया, सूर्या […]
सूफी संत और उनकी कथाएं
यह बहुत चर्चित किताब है। इस में हमने सूफी साधना पद्धति को सैद्धांतिक एवं मोलिक ढंग से प्रतिपादित किया है। सूफी आश्रम में दस वर्ष रह कर सूफीयत को समझा, फिर लिखा। साथ में विश्व के प्रमुख 27 सूफी संतों के जीवन एवं शिक्षाओं को शब्दांकित किया गया है। विशेष बात यह है कि पहली […]
कर्मण्येवाधिकारस्ते
गीता के दूसरे अध्याय के 47 वें श्लोक की विस्तृत विवेचना। इस में कर्म, अकर्म, विकर्म, निष्काम कर्म में अंतर बताते हुए व्याख्या की गई है। स्वकर्म, स्वधर्म,स्वभाव का भी विश्लेषण किया गया है। बताया गया इै कि निष्कामता मन की एक अवस्था मात्र है। इस अवस्था में ठहर जाने के बाद ही अनासक्ति भाव […]
दशानन चरित
अनार्य संस्कृति के महानायक लंकेश या रावण अथवा दशानन पर यह एक सकारात्मक पुस्तक हैं इस में राम – रावण युद्ध को दो विपरीत सुस्कृतियों का महा संग्राम बताया गया है। साथ ही रावण के पांडित्य, शौर्य, चरित्र, सोच, औदात्य आदि का तर्क सम्मत विश्लेषण है। सीता, मंदोदरि, रावण, आदि से संबद्ध लोक कथाओं का […]
मोक्ष का सत्य
सारी दुनिया के धार्मिक ग्रंथों में मोक्ष की अवधारणा है। तो क्या है यह मोक्ष ? इसी सवाल का जवाब प्रस्तुत पुस्तक में तलाश किया गया है। पृष्ठभूमि के रूप में आत्मा, परमात्मा, प्रलय, खण्ड व आत्यंतिक प्रमय आदि को समझाया गया हे। जीवात्मा क्या है, देह में केसे आती है, आत्मा जीव भाव से […]
सद्गुरू शरणम
यह पूर्ण रूपेण आध्यात्मिक किताब है। इस में बताया गया है – लेखक के गुरु कौन थे ? उनसे दीक्षा कैसे हुई ? शक्तिपात कैसे हुआ ? शक्तिपात के बाद क्या हुआ ? किस तरह अंदर रूहानी परिवर्तन घटित होते हैं ? समाधी लगना, अंधेरे में दिखाई देना, महात्मा के शरीर के आर पार दिख […]
अजमेर इतिहास और पर्यटन
यह शहर ब्रिटिश काल में राजस्थान की शैक्षिक राजधानी रहा है। इसकी प्राचीनता द्वापर युग तक देखी गई है। इसे समेटते हुए अजमेर की प्रेम कथाएं पहली बार लिखी गई हैं। ऐसे ही इस शहर की विख्यात हवेलियों का रोचक इतिहास भी सर्व प्रथम सामने लाया गया है। यहां के पर्यटन स्थलों में प्रमुख हैं […]
पुष्कर अध्यात्म और इतिहास
तीर्थराज पुष्कर पर एक आधिकारिक किताब। इस पोराणिक कस्बे की भोगोलिक स्थिति एवं ऐतिहासिकता पर शोध परक मैटर प्रभापशाली है। कुछ चौंकाने वाली बातें हैं – असली पुष्कद कहां ? क्या फूलों की घटी के पास ? ऐसे ही सरस्वती नदी अजमेर के निकट वाले पुष्कर में कभी नहीं बही। गायत्री मंत्र की रचना पुष्कर […]